जहन्नम की आग से निजात दिलाता है रमाजान का तीसरा अशरा
पिपरई| माह—ए—रमजान का तीसरा अशरा शुरू हो गया है और इस तीसरे अशरे में पहुचते ही लोग अपने गुनाहों की माफी के लिए रात दिन मस्जिदों में अल्लाह पाक से दुआएं मांग रहे हैं। तीसरे अशरे में दखिल होते ही मस्जिदें नमाजियों से छलक उठी हैं। रमजानुल मुबारक का तीसरा असरा जहन्नुम की आग से निजात दिलाने वाला असरा होता है। इस असरे की फजीलत बताते हुए हाफिज मोहम्मद रफीक साहब ने कहा कि रहमतों का महीना है रमजान। रमजान को तीन अशरे में बांटा गया है। पहला अशरा रहमत का है। इस अशरे में अल्लाह तआला अपने रहमत से अपने बंदों को नवाजता है। दूसरा अशरा मगफिरत का है यानी अल्लाह पाक से अपने गुनाहों की माफी मांगने का। इस अशरे में अल्लाह पाक का कोई भी बंदा अगर दिल से अपने गुनाहों की माफी मांगता है, तो अल्लाह पाक उसे माफ कर देते है। और तीसरा अशरा निजात का है। इस अशरे में खुदा की इबादत करने वालों को जहन्नुम की आग से मुक्ति मिलती है।