अशोक नगर में लाखों श्रद्धालुओं ने आस्‍था के साथ किये मां जानकी माता के दर्शन

ऊष्मा की आवाज
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लाखों श्रद्धालुओं ने आस्‍था के साथ किये मां जानकी माता के दर्शन 


रंगपंचमी पर आयोजित होने वाले करीला मेला में विगत वर्ष से अधिक श्रद्धालु पहुंचे

अशोकनगर 30 मार्च 2024

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जिला अशोकनगर के तहसील बहादुरपुर के ग्राम पंचायत जसैया के ग्राम कानीखेडी स्थित करीला धाम माता जानकी मंदिर में रंगपंचमी पर आयोजित होने वाले तीन दिवसीय वार्षिक मेला में लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ मां जानकी माता के दर्शन कर मन्‍नतें मांगी। रंगपंचमी पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का करीला धाम आना प्रारंभ हो गया था। रंग पंचमी के दिन व रात में लाखों श्रद्धालुओं ने मॉ जानकी के मंदिर में मत्‍था टेककर आर्शीवाद लिया तथा दर्शन लाभ लिए। मॉ जानकी के दरबार में आकर लाखों श्रद्धालुओं ने माता जानकी मैया के जयकारों के साथ रैलिंग में कतारबद्ध होकर दर्शन किए तथा मन्नतें मॉगी। मन्नतें पूरे होने पर श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर के बाहर राई एवं बधाई नृत्य करवाया। रंग बिरंगी लाइटों से सुसज्जित मंदिर परिसर रोशनी से सराबोर रहा। 

करीला धाम की अनोखी प्राचीन धार्मिक मान्‍यता

धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार करीला धाम लव कुश के जन्‍म स्‍थल के रूप में जाना जाता है। यहां मुख्‍य रूप से प्रतिवर्ष रंगपंचमी पर मेले का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालुओं द्वारा मांगी गई मन्‍नतें पूर्ण होने पर राई नृत्‍य कराये जाने की परम्‍परा है। करीला के मुख्य मंदिर में मॉ जानकी के साथ-साथ महर्षि वाल्‍मीकि व लवकुश की प्राचीन प्रतिमायें स्थापित है। करीला धाम में मान्यता है कि जिसके सन्तान न हो वह यहां आकर मन्नतें मांगे तो उसकी मुराद मॉ जानकी पूरी करती हैं। मुराद पूरी होने पर श्रद्धालु यहां आकर अपनी श्रद्धानुसार राई नृत्य करवाते है। क्षेत्र में यह लोकोक्ति प्रचलित है कि लव व कुश के जन्म के बाद मॉ जानकी के अनुरोध पर महर्षि वाल्‍मीकि ने उनका जन्मोत्सव बडी धूमधाम से मनाया था। जिसमें स्वर्ग से उतरकर अप्सरायें आई थी तथा उन्होने यहॉ नृत्य किया था। वही जन्मोत्सव आज भी रंग पंचमी के अवसर पर यहॉ मनाया जाता है। उसी उत्सव में हर वर्ष सैकडों नृत्यांगनायें यहॉ राई नृत्य प्रस्तुत करती है। नृत्यांगनाएं ओढ़नी से घूंघट डाले नगड़ियों की गूंज एवं मृदंग की थाप पर लम्बे घेर वाले लंहगे एवं पैर में घुंघरू की खनखनाती आवाज पर मनमोहक अदाओं के साथ नृत्य करती रहीं। करीला मेले में बिकने वाली कढ़ाई की कम तेल की खपत के साथ स्‍वादिष्‍ट एवं भरपूर पकवान बनने की मान्‍यता है। 

करीला मेला का आईजी, कलेक्‍टर एवं एसपी निरंतर जायजा लेते रहे

पुलिस महानिरीक्षक ग्‍वालियर संभाग श्री अरविन्‍द सक्‍सेना, कलेक्टर श्री सुभाष कुमार द्विवेदी एवं पुलिस अधीक्षक श्री विनीत कुमार जैन मंदिर एवं मेला परिसर में व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे और अधीनस्थ अधिकारियों को आवश्‍यक दिशा निर्देश देते रहे। जिला प्रशासन द्वारा भविष्‍य होने वाले आयोजनों को दृष्टिगत रखते हुए अनेकों व्‍यवस्‍थाएं कराई जा रही है। पहले यहां तक पहुचनें के लिए पक्‍का मार्ग नही था। जिला प्रशासन के निरंतर प्रयास के चलते तीन पक्‍के मार्गो से करीला धाम पहुंचा जा सकता है। पहाडी पर स्थित करीला धाम पर पीने की किल्‍लत रहती थी। जिला प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं को शुद्ध पेयजल उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से करीला पहाडी के चारो ओर अनेको बोरवेल कराये जाकर मेला में निरंतर आपूर्ति की जा रही है। जिससे श्रद्धालुओं को शुद्ध पेयजल आसानी से प्राप्‍त हो रहा है।


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