चंदेरी शहर में बेखौफ चल रहा राेजाना लाखों रु. का सट्‌टाअशोक नगर (ऊष्मा की आवाज)

SS Star News 1
0
चंदेरी शहर में बेखौफ चल रहा राेजाना लाखों रु. का सट्‌टा

अशोक नगर (ऊष्मा की आवाज)



अशोकनगर जिले के चंदेरी | ऐतिहासिक नगरी चंदेरी में जमकर सट्‌टा चल रहा है। इससे युवा और गरीब बर्बाद हो रहे हैं। शहर के चौक चौराहों आदि जगहों पर सट्‌टा पर्ची और ओपन-क्लोज की बातें सुनने को मिलती हैं। शहर के दिल्ली दरवाजा, सदर बाजार, सत्ती चौराहा, प्राणपुर, मेन बाजार आदि स्थानों पर अवैध रूप से सट्‌टा चल रहा है। इसमें गरीब और मध्यम वर्ग के लोग बर्बाद हो रहे हैं। जानकारी अनुसार कस्बे में रोजाना लाखों रुपए का सट्‌टा खेला जाता है। पुलिस ने सट्‌टे के अवैध कारोबार को रोकने की कई बार कोशिश की है। कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है इसके बावजूद अपराधी बैखौफ होकर सट्‌टे के कारोबार को चला रहे हैं।


जोरों से चल रहा सट्टे का कारोबार, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
शहर में सट्टे के अवैध कारोबार के हाइटेक होने के बाद से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में युवाओं का इस ओर रूझान बढ़ा है।पुलिस का सट्टे पर कोई अंकुश नहीं है।तीन से चार खाइवाल मिलकर पूरे शहर में सट्टे का बाजार चला रहे हैं। 
जोरों से चल रहा सट्टे का कारोबार, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान


 शहर में सट्टे के अवैध कारोबार के हाइटेक होने के बाद से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में युवाओं का इस ओर रूझान बढ़ा है।पुलिस का सट्टे पर कोई अंकुश नहीं है।तीन से चार खाइवाल मिलकर पूरे शहर में सट्टे का बाजार चला रहे हैं।  चंदेरी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। पुलिस का सटोरियों के विरूद्ध कोई एक्शन न लेना कहीं न कहीं सवालियां निशान खड़ा करता है। वैसे भी पुलिस ने एक लम्बे अर्से से सटोरियों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसारकि सट्टे के कारोबार को चरमसीमा पर पहुंचाने में पुलिस का भी बराबर का हाथ है। इस बीच सूत्रों से यह खबर छनकर सामने आ रही है कि जिस तरह से शहर में हाइटेक सट्टे का संचालन किया जा रहा है, इसमें तीन से चार खाइवाल मिलकर दर्जनभर से अधिक जगहों पर ऑनलाइन सट्टे को संचालित कर रहे हैं।



 

ग्राहकों से ऑफलाइन पट्टियां भी ली जा रही है।इधर सट्टे के नशे में युवा वर्ग तबाह हो रहा है। नई पीढ़ी भविष्य की चिंता की करने की बजाय एक के 80 करने में किस्मत आजमाते हुए बर्बाद हो रही है।घरों में आर्थिक समस्याओं के उत्पन्ना होने से क्लेश बढ़ रहे हैं। विवाद की स्थिति बन रही है। इस तरह सट्टे के अवैध कारोबार ने कई परिवारों का जीना मुहाल कर रखा है। इस अवैध कारोबार को रोकने की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है वो बढ़ावा दे रहे हैं। जागरूकजनों का कहना है कि यदि पुलिस ने समय रहते सट्टे के कारोबार पर रोक नहीं लगाई तो नई पीढ़ी का जीवन पूरी तरह बर्बाद होने में देर नहीं लगेगी।

कभी-कभार होती है छुटपुट कार्रवाईः पुलिस को एक लंबे अर्से से सट्टे के मामले में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। कभी-कभार फुटपाथ पर बैठकर पट्टी लिखने को वालों को पकड़कर मुचलके पर छोड़ दिया जाता है। जबकि सट्टे का कारोबार सिर्फ फुटपाथ तक ही सीमित नहीं है। बड़े-बड़े रसूखदारों का इसमें बड़ी भूमिका है। सटोरियों पर कार्रवाई न हो पाने के पीछे पुलिस की कमजोर कड़ी कुछ पुलिसकर्मी ही बताए जाते है। मैदानी अमले से जुड़े पुलिस कर्मचारियों की सटोरियों से अच्छी खासी मिलीभगत है। सालाना आपराधिक रिकार्ड की यदि बात की जाए तो जनवरी से दिसंबर तक सट्टे के मामले में गिने-चुने ही केस दर्ज किए जाते  हैं अधिकांश केस थाने के बाहर ही निपटा दिए जाते है।सट्टे के इस अवैध कारोबार ने मध्यम वर्ग के युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। जो कुछ पैसों से अधिक पैसे बनाने के लालच में आकर रोजाना अपनी थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी सट्टे पर उड़ेल रहे हैं। यहां तक की दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाला मजदूर भी रोज की कमाई का कुछ हिस्सा सट्टे में लगाकर अपने व परिवार के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)