संध्या के समय बुरी और अच्छी आदतों पर विचार करें और बुरी आदतों को त्यागनेे का संकल्प लें भदौरियाएसडीओपी ने छर्च ने चलाई स्कूली बच्चो की पाठशालापोहरी

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संध्या के समय बुरी और अच्छी आदतों पर विचार करें और बुरी आदतों को त्यागनेे का संकल्प लें  भदौरिया


एसडीओपी ने छर्च ने चलाई स्कूली बच्चो की पाठशाला

पोहरी

बदमाशों पर डंडा चलाने वाली पुलिस अब बच्चों को जागरूक करने के लिए अपने हाथों में कलम पकड़ रही है
पोहरी एसडीओपी सुजीत सिंह भदौरिया स्कूलों में जाकर बच्चों को यातायात नियमों का पाठ पढ़ा रहे है ताकी नींव से ही मजबूती आ सके। उन्हें साइबर क्राइम के बारे रहे है ताकी वे इस बारे में जागरूक हो सके और भविष्य में यह उनके काम आए। एसडीओपी ने ऐसी कार्ययोजना बनाकर तैयार कर ली है, जिससे बच्चो से बात करके समाज को बेहतर बनाया जा सके पोहरी एसडीओपी द्वारा लगातर स्कूलों में भृमण कर बच्चो के विकास में लग गए है 
वहीँ एसडीओपी ने छात्रों को बताया कि सभी को सम्मान और अधिकारपूर्वक जीने का अधिकार है। हर कोई मान-सम्मान से जीना चाहता है। इसलिए सभी का सम्मान करें।
नारी जाति का विशेष सम्मान करें तभी हमारा समाज मजबूत होगा और विकास की ओर अग्रसर होगा।
इस मौके पर बच्चों ने कई सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया और नशा जैसी बुराइयों से दूर रहने का संकल्प लिया। साथ ही नारी समाज का सम्मान करने की शपथ ली।
एसडीओपी सुजीत सिंह भदौरिया कहा कि छोटी उम्र में गलत आदत शुरू होती हैं जो जिंदगी भर साथ रहती हैं। इसलिए इस उम्र में बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार दिए जाएं तो वे बुराइयों से बचे रहते हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से बच्चों को कानून की जानकारी मिलती है। कानून के प्रति जागरूक होते हैं और समाज में सजगता आती है


विद्यार्थियों के लिए तीन जरूरी बातें

एक।  - ज्ञान का अभाव : ज्ञान और जानकारी के अभाव में मानव से गलतियां होती हैं। इसलिए विद्यार्थियों को कानून सहित सभी की जानकारी होनी चाहिए। जानकारी होने पर अपराध नहीं होंगे और दूसरों को भी अपराध करने से रोक सकेंगे।

दो   - गलत संगत : विद्यार्थी गलत संगत में जाकर अपना और अपने परिवार का बुरा कर लेता है। ऐसे लड़कों से दोस्ती नहीं करें जिनकी मानसिकता सही नहीं है। पता लगने के बाद तत्काल ही ऐसे मित्र और उनकी संगत को छोड़ देना चाहिए।


तीन   - खराब माहौल : कई बार बच्चों को अच्छा माहौल नहीं मिलता। माता-पिता बच्चे पर ध्यान नहीं देते। परिवार का वातावरण खराब होने पर बच्चे बिगड़ जाते हैं। ऐसे बच्चों को स्कूल में सुधारना मुश्किल हो जाता है। इसलिए माता-पिता को बच्चों को अच्छा माहौल देना चाहिए, ताकि उनकी अच्छी तरह से परवरिश हो सके।


विद्यार्थी ये ना करें

- एक दूसरे का अपमान नहीं करें, खासतौर पर धर्म और जाति को लेकर कतई नहीं

- मोबाइल फोन और नेट का गलत उपयोग नहीं

- मानसिकता को विकृत करने वाले टीवी कार्यक्रम नहीं देखें

- नशे से दूर रहें और इस पर चिंतन करें

- तेज गति में बाइक नहीं चलाएं

- अपनी व दूसरों की गलती पर कभी हंसे नहीं

सभी को सम्मान और अधिकारपूर्वक जीने का अधिकार है। हर कोई मान-सम्मान से जीना चाहता है। इसलिए सभी का सम्मान करें।
नारी जाति का विशेष सम्मान करें तभी हमारा समाज मजबूत होगा और विकास की ओर अग्रसर होगा।
इस मौके पर बच्चों ने कई सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया और नशा जैसी बुराइयों से दूर रहने का संकल्प लिया। साथ ही नारी समाज का सम्मान करने की शपथ ली।

एसडीओपी सुजीत भदौरिया ने कहा कि छोटी उम्र में गलत आदत शुरू होती हैं जो जिंदगी भर साथ रहती हैं। इसलिए इस उम्र में बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार दिए जाएं तो वे बुराइयों से बचे रहते हैं।

उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से बच्चों को कानून की जानकारी मिलती है। कानून के प्रति जागरूक होते हैं और समाज में सजगता आती है।

विद्यार्थी ये ना करें....

- एक दूसरे का अपमान नहीं करें, खासतौर पर धर्म और जाति को लेकर कतई नहीं

- मोबाइल फोन और नेट का गलत उपयोग नहीं

- मानसिकता को विकृत करने वाले टीवी कार्यक्रम नहीं देखें

- नशे से दूर रहें और इस पर चिंतन करें

- तेज गति में बाइक नहीं चलाएं

- अपनी व दूसरों की गलती पर कभी हंसे नहीं

यह करें.....

- ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों को अध्ययन करें

- ध्यान और योग निरंतर करें

- संध्या के समय बुरी और अच्छी आदतों पर विचार करें और बुरी आदतों को त्यागनेे का संकल्प लें

- नारी जाति का सम्मान करना सीखें

- अपराध का विरोध करें और पुलिस को तत्काल सूचना दें

- हर परिस्थिति से सीखने का प्रयास करें

एसडीओपी की पाठशाला में बच्चों को समझाया गया कि हेलमेट को भार नहीं समझें। अमूमन चालान से बचने के लिए हेलमेट पहनते हैं, यह मानसिकता ठीक नहीं।
सड़क दुर्घटनाओं में 80 फीसदी मौत सिर की चोट के कारण होती है। यदि वाहन चालक हेलमेट पहने तो 80 फीसदी मौतें रोकी जा सकती हैं।


बच्चों ने सराहा... एसडीओपी को कहा धन्यवाद

 एसडीओपी की पाठशाला को विद्यार्थियों ने जमकर सराहा। इसके लिए एसडीओपी को थैंक्स बोला। बातचीत में बच्चों ने बताया कि पहली बार इस तरह की पाठशाला से रू-ब-रू हुए।
एक ओर जहां कानून की जानकारी और कानूनन अधिकारों का पता चला। वहीं पुलिस के प्रति उनकी सोच भी बदली। छात्रों ने पुलिस के हाथ मजबूत करने और बुराइयों से बचने का संकल्प भी जताया












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